ॐ
सत्यमेव जयते
सत्य क्या है ? धर्म क्या है ? ईश्वर क्या है ?
देखिये हर बात को समझाने के कई तरीके होते है लेकिन सर्वश्रेष्ठ वही माना जाता है जो ज्ञानी ना हो लेकिन आसान भाषा में समझा सके ,जिसकी कोशिश शब्दों में उलझाने में नहीं समझाने में हो !
प्रयास यही रहे इस तथाकथित कलयुग में हमारे नव युवक साथी अपने सत्य को समझे !!
ये चर्चा का विषय है और इसपर चर्चा जरुरी भी है !!
प्रश्न ये आता है (सबके ह्रदय में एक बार तो आता ही है , मेरे में तो एक नहीं कई दफा आता रहता है )
सत्य क्या है ? धर्म क्या है ? ईश्वर क्या है ?
मेरे प्रिय जन मेरे ह्रदय की गहराइयों से सादर नमन है !
वायु सत्य है और ये प्रवाह हो रही है और हमारा ,आपका एवं सम्पूर्ण जगत का आधार है ये परम सत्य है !
एक माँ का आंचल उतना ही सत्य है जितना की बिना प्राणो के मानुष शरीर।
इस श्रष्टि में मनुष्य योनि का आरम्भ उतना ही कटु सत्य है जितना की बिना ज्योति के नेत्र !
सूर्योदय का नियमित अपने स्थान से दर्शन देना उतना ही सत्य है जितना बिना स्वांश के आपका शरीर !
आपके जीवन में अगले पल भर में क्या घठित होने वाला उसका ना मालूम होना , ये उतना ही सत्य है जितना की इस मनुष्य शरीर का एक राख हो जाना ,परन्तु उस राख में उस मानुष कि स्वांस का न मिलना यही परम सत्य है !
धन से वैभव मिल सकता है या यो कहे मिलता है लेकिन धन से शांति का न मिलना जितना सत्य है उतना ही परम सत्य है त्यागी के चेहरे की प्रशन्ता परन्तु ,दुर्लभ सत्य तो ये है की वो प्रशन्नता उस धनवान के चेहरे पर नहीं होती !
श्री राम ने पिता के वचन को सत्य करने के लिए दण्ड़कारण्य वनवास को चल दिए बिना अपना गुनाह पूछे ये सत्य है परन्तु परम सत्य ये भी है की भरत जैसे भाई ने राजविलास के स्थान पर प्रभु श्री राम के चरण पादुकाओं का अनुशरण किया !!
दीया माटी का हो या सोने का वो अपना प्रकाश एक सम्मान फैलाता है ये सत्य है तो परम सत्य ये भी है जल को शीतल माटी की सुराही रखती है सोने का घड़ा नहीं !!
यही सत्य है जो सुनने में किसी को भी एकाएक सुहाता नहीं है !!
अपने कोई कर्म किया परन्तु आपकी आत्मा को संतोष नहीं है , वो शांति नहीं मिली ये सत्य है और हाँ परम सत्य ये भी है की अपने तो वो कर्म करने का निर्णय लिए परन्तु कोई है जिसने आपको रोकने का ,सोचने का काम किया!!!
वो किया हुआ कर्म जिससे आत्मा को शांति मिले वास्तव में वही सत्य है , वो हि धर्म रूप है !! ईश्वर कोई नहीं वो साक्षात् सत्य है आप सत्य पर रहकर कोई भी कर्म करिये सारी कायनात उसमे आपके साथ लगजाएगी ये उतना ही सत्य है जितना की एक वृक्ष की छांव जो कभी किसी के आकार , प्रकार , गुण , अवगुण देखे बिना एक सामान छाँव देता है !!
सत्यमेव जयते
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