Friday, April 24, 2020

गोरक्ष चालीसा

 शिव गोरक्ष 

गोरक्ष चालीसा 


* दोहा *
गणपति गिरजा पुत्र को ,सिमरूं बारम्बार | 
हाथ जोड़ विनती करुं ,शारद नाम आधार || 

जय जय जय गोरक्ष अविनाशी | 
कृपा करो गुरु देव प्रकाशी || 

जय जय जय गोरक्ष गुण ज्ञानी | 
इच्छा रूप योगी वरदानी || 

अलख निरंजन तुम्हरो नामा | 
सदा करो भक्तन हित कामा || 

नाम तुम्हारो जो कोई गावैं | 
जन्म जन्म के दुःख मिट जावै || 

जो कोई गोरक्ष नाम सुनावै | 
भूत - पिशाच निकट नहीं आवै || 

ज्ञान तुम्हारा योग से पावै | 
रूप तुम्हारा लख्या न जावै || 

निराकार तुम हो निर्वाणी | 
महिमा तुम्हारी वेद न जानी || 

घट - घट के तुम अन्तर्यामी | 
सिद्ध चौरासी करें प्रणामी || 

भस्म अंग गल नाद विराजे | 
जटा शीश अति सुन्दर साजे || 

तुम बिन देव और नहीं दूजा | 
देव मुनि जन करते पूजा || 

चिदानंद संतन हितकारी | 
मंगल करण अमंगल हारी || 

पूर्ण ब्रह्म सकल घट वासी | 
गोरक्ष नाथ सकल प्रकाशी || 

गोरक्ष गोरक्ष जो कोई ध्यावै | 
ब्रह्म रूप के दर्शन पावै || 

शंकर रूप धर डमरू बाजै | 
कानन कुण्डल सुन्दर साजै || 

नित्यानंद है नाम तुम्हारा | 
असुर मार भक्तन रखवारा || 

अति विशाल है रूप तुम्हारा | 
सुर नर मुनि जन पवै न पारा || 

दीनबंधु दिनन हितकारी | 
हरो पाप हम शरण तुम्हारी || 

योग युक्ति में हो प्रकाश | 
सदा करो संतन तन बासा || 

प्रातः काल ले नाम तुम्हारा | 
सीधी बढे अरु योग प्रचारा || 

हठ हठ हठ गोरक्ष हठीले | 
मार मार वैरी के कीले || 

चल चल गोरक्ष विकराला | 
दुश्मन मार करो बेहाला || 

जय जय जय गोरक्ष अविनाशी | 
अपने जन की हरो चौरासी || 

अचल अगम है गोरक्ष योगी | 
सिद्धि देवो हरो रस भोगी || 

काटो मार्ग यम को तुम आई | 
तुम बिन मेरा कौन सहाई || 

अजर अमर है तुम्हारी देहा | 
सनकादिक सब जोरहिं नेहा || 

कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा | 
है प्रसिद्ध जगत उजियारा || 

योगी लखें तुम्हारी माया | 
पार ब्रह्म से ध्यान लगाया || 

ध्यान तुम्हारा जो कोई लावै | 
अष्ट सिद्धि नव निधि पा जावै || 

शिव गोरक्ष है नाम तुम्हारा | 
पापी दुष्ट अधम को तारा || 

अगम अगोचर निर्भय नाथा | 
सदा रहो सन्तन के साथा || 

शंकर रूप अवतार तुम्हारा | 
गोपीचन्द ,भरथरि को तारा || 

सुन लीजो गुरु अरज हमारी | 
कृपा सिन्धु योगी ब्रह्मचारी || 

पूर्ण आस दास की कीजै | 
सेवक जान ज्ञान को दीजै || 

पतित पावन अधम अधारा |
तिनके हेतू तुम लेत अवतारा || 

अलख निरंजन नाम तुम्हारा | 
अगम पंथ जिन योग प्रचारा || 

जय जय जय गोरक्ष भगवाना | 
सदा करो भक्तन कल्याना || 

जय जय जय गोरक्ष अविनाशी | 
सेवा करें सिद्ध चौरासी || 

जो यह पढ़े गोरक्ष चालीसा | 
होय सिद्ध साखी गौरीशा || 

हाथ जोड़ कर ध्यान लगावै | 
और श्रद्धा से रोट चढावै || 

बारह पाठ पढ़ै नित जोई | 
मनोकामना पूर्ण होई || 

* दोहा *
सुने सुनावे प्रेम वश ,पूजे अपने हाथ | 
मन इच्छा सब कामना , पूर्ण करे गोरक्षनाथ ||  

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