Friday, April 10, 2020

श्री सीता राम जय जय राम

ॐ 
श्री सीता राम जय जय राम 



मै केहि कहौं विपत्ति अति भारी | 
श्री रघुवीर धीर हितकारी  | १ | 

मम ह्रदय भवन प्रभु तोरा  | 
तहँ बसे आइ बहु चोरा | २ | 

तहँ कठिन करहिं बरजोरा | 
मानहिं नहि विनय निहोरा | ३ | 

तम, मोह  लोभ, अहँकारा | 
मद , क्रोध , बोध -रिपु मारा | ४ | 

अति करहिं उपद्रव नाथा | 
मरदहिं मोहि जानि अनाथा | ५ | 

मैं एक , अमित बटपारा | 
कोउ सुनै  न मोर पुकारा | ६ | 

भागेहू  नहिं नाथ ! उबारा | 
रघुनायक, करहुँ सँभारा | ७ | 

कह तुलसीदास सुनु रामा | 
लूटहिं तसकर तव धामा | ८ | 

चिंता यह मोहिं  अपारा | 


अपजस नहिं होइ तुम्हारा | ९ |

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