ॐ
श्री हनुमान जी परिचय
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
अतुलित बलधामं स्वर्ण शैलाभ देहं ,दनुज -वन कृशानुं ज्ञानिनाम ग्रगग्रगण्यम |
सकळ गुण निधानं ,वानराणामधीशं , रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामिः ||
ब्रह्मा ,विष्णु ,शंकर हिन्दू धर्म की तीन आधार शिलायें है ,और हर एक की अपनी विशिष्ठता है | ब्रह्मा सृष्टि करता है , श्री विष्णु रक्षक रूप में है और महादेव संहारक रूप में है | हिन्दू धर्म के अन्य सभी देवता गण इन त्रिमूर्तियों में से किसी एक का अवतार माना जाता है | इन त्रिमूर्तियों में केवल ब्रह्मा ने कोई अवतार नहीं लिया है | श्री हरी विष्णु के दस से अधिक अवतार माने जाते हैं | उनमें से अति प्रसिद्ध एवं विशिस्ट अवतार श्री राम और श्री कृष्ण के हैं | श्री हनुमान जी महाराज को श्री देवादि देव महादेव का अवतार माना जाता हैं |
हिन्दू पुराण के अनुसार भगवान शिव ने अपनी सारी शक्ति को ग्यारह खंडों या अंशों में विभाजित करके रखा है | चूँकि शिव के ग्यारहवें अंश को विगत काल में राक्षशराज रावण ने अपमानित किया था और उससे नाखुश था इसलिए महादेव ने निश्चय किया की अपने ग्यारहवें अंश का प्रयोग रावण के विरुद्ध लड़ने और भगवन श्री राम की सेवा करने के लिए किया जाए | तदनुसार उन्होंने केसरी द्वारा माँ अंजना के गर्भ से श्री हनुमान के रूप में जन्म लिया |
हनुमान जी सदैव सरल भक्ति के प्रतीक रहे हैं | वे बच्चो के प्यारे और उनके बीच में प्रसिद्ध रहे हैं ,और हिन्दू संप्रदाय एवं सनातन संस्कृति में सबसे अधिक प्यारे देवता के रूप में माने जाते है | श्री हनुमान सदगुणों , शक्ति , तेजस , नम्रता , सिद्धि , और धैर्य का सार है | वे उत्साही ,श्री राम के अनन्य भक्त , समर्पित सेवक और बुद्धिमान हैं | हनुमान भगवान श्री राम के भक्ति - साम्राज्य के द्वारपालक हैं | भगवान श्री राम एवं माँ सीता को मिलाने के लिए एक गुरु की तरह भी उन्होंने काम किया है अर्थात उन्होंने आत्मा का परमात्मा के साथ मिलाने का सराहनीय प्रयास किया था | हनुमान का शाब्दिक अर्थ है दांतो का विकृत होना | उन्हें बजरंग भी कहा जाता है जिसका अर्थ वज्र दांत या किसी एक अंग का टेढ़ा होना | कुछ संस्कृतियों में गल्ला गर्व एवं अहं का चिन्ह माना जाता है और टूटा गल्ला मानव के अहं का भंग माना जाता है | यही हनुमान शब्द का व्यवहारिक या लोकप्रचलित अर्थ है | हनुमान जी के प्रमुख १२ नाम जिनसे हनुमान जी की स्तुति की जाती है :
(१) हनुमान * (२) लक्ष्मणप्राणदाता * (३) दशग्रीवदर्पहा * (४) रामेष्ट * (५) फाल्कुनसखा * (६) पिंगाक्ष * (७) अमितविक्रम * (८) उदधिकर्मण * (९) अंजनीसूत * (१०) वायुपुत्र * (११) महाबल * (१२) सीताशोकविनाशन
|| जय सिया राम ||
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
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